महाकुम्भ प्रयागराज में बीकानेर श्रद्धालुओं की जलयात्रा और त्रिवेणी महायज्ञ का भव्य शुभारंभ

 जयपुर.

प्रयागराज के संगम तट पर चल रहे महाकुम्भ में बीकानेर के श्रद्धालुओं ने संत-महात्माओं के सान्निध्य में भव्य जलयात्रा निकालकर सात दिवसीय त्रिवेणी महायज्ञ का शुभारंभ किया। बीकानेर खालसा के माध्यम से 51 हजार से अधिक श्रद्धालुओं को नि:शुल्क भोजन, चाय-नाश्ता और आवास की सुविधा प्रदान की जा रही है। दुर्लभ 144 वर्षों के संयोग से हो रहे महाकुम्भ में संगम तट पर राष्ट्रीय संत सरजूदास महाराज, परम सियाराम महाराज और महंत रामदास महाराज के आशीर्वाद से सात दिवसीय त्रिवेणी महायज्ञ का शुभारंभ गुरुवार को जलयात्रा के साथ हुआ। बीकानेर से आए श्रद्धालुओं ने सिर पर कलश रखकर ढोल-ताशों के साथ जलयात्रा निकाली। श्रद्धालुओं का भारी हुजूम इस आध्यात्मिक आयोजन में उमड़ पड़ा। 



राष्ट्रीय संत श्रीसरजूदासजी महाराज ने बताया कि जलयात्रा में त्रिवेणी संगम का पवित्र जल लेकर महायज्ञ का शुभारंभ किया गया। इस दौरान श्रद्धालु मात्र एक आहुति देने के लिए भी उत्सुक नजर आए। महायज्ञ का आयोजन प्रयागराज के महात्यागीनगर आश्रम में किया जा रहा है, जहां 29 जनवरी तक राम नाम संकीर्तन और संत-महात्माओं के प्रवचन जारी रहेंगे। 

संत-महात्माओं की उपस्थिति से भव्य आयोजन

इस आयोजन में महंत माधवदासजी महाराज, महंत बिजली बाबा, महंत रामेश्वरदासजी, महंत शिवरामदासजी, महंत बड़के बाबा, महंत भगवानदासजी और संत बालकदासजी महाराज जैसे कई संत उपस्थित हैं। इनके सान्निध्य ने श्रद्धालुओं के आध्यात्मिक अनुभव को और गहरा बना दिया है। 


बीकानेर खालसा बना वरदान

4 जनवरी को बीकानेर से विशाल शोभायात्रा के साथ रामझरोखा कैलाशधाम आश्रम टीम प्रयागराज के लिए रवाना हुई। 6 जनवरी से शुरू हुए बीकानेर खालसा में अब तक 51 हजार से अधिक श्रद्धालुओं को चाय-नाश्ता, भोजन और निवास की नि:शुल्क सुविधा प्रदान की गई है। श्रीसरजूदासजी महाराज ने बताया कि बीकानेर खालसा में प्रतिदिन 3-4 हजार श्रद्धालुओं का आवागमन हो रहा है। श्रद्धालु महाकुम्भ में पवित्र स्नान कर पुण्यलाभ अर्जित कर रहे हैं। इसके अलावा 24 घंटे राम नाम संकीर्तन और संतों के सान्निध्य में प्रवचन और यज्ञ का आनंद भी ले रहे हैं।



श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण

महाकुम्भ में बीकानेर खालसा का यह आयोजन श्रद्धालुओं के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। नि:शुल्क सुविधाओं के साथ-साथ अध्यात्मिक शांति और सत्संग का लाभ श्रद्धालुओं को मिल रहा है। सात दिवसीय त्रिवेणी महायज्ञ और जलयात्रा ने आयोजन की भव्यता को और बढ़ा दिया है। 

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