20 रुपए की किताब पर कैसे लगा एक लाख रुपए का जुर्माना, पढ़ें पूरी खबर
बीकानेर के जिला उपभोक्ता मंच ने सुनाया फैसला
बीकानेर.
बीस रुपए कि किताब पर एक लाख रुपए से अधिक का जुर्माने की बात सुनकर भले ही आपके कान खड़े हो जाए, लेकिन लेकिन यह हकीकत है। राजस्थान के बीकानेर जिले की जिला उपभोक्ता मंच ने किताब प्रकाशक को यह जुर्माना राशि चुकाने के आदेश दिए हैं। प्रकरण के अनुसार करीब एक साल पहले अधिवक्ता इन्दू सोलंकी ने वकालात की तैयारी के लिए जोधपुर की एक प्रकाशक एजेन्सी से प्रकाशित किताब सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 के संस्करण वर्ष 2018 कि खरीद की थी। अधिवक्ता ने जब किताब को देखा तो उसमें पुरानी जानकारियां थी। जबकि किताब के कवर पर नए वर्ष का कवर लगा रखा था।
किताब में नहीं मिली जानकारी
अधिवक्ता इन्दू सोलंकी ने न्यायालय में सुनवाई के दौरान बताया कि किताब में केन्द्रीय व राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2014 से वर्ष 2018 तक किए गए संशोधन का कोई जिक्र तक नहीं था। उपभोक्ता मंच के अध्यक्ष ओपी सीवर तथा सदस्य पुखराज जोशी व मधुलिका आचार्य ने प्रकाशक की सेवाओं में कमी मानते हुए एक लाख, पन्द्रह हजार रुपए जुर्माना अदा करने के आदेश प्रकाशक को दिए। कुल जुर्माना राशि में से एक लाख रुपए प्रकाशक को उपभोक्ता कल्याण कोष में जमा करवानी होगी।
बीकानेर.
बीस रुपए कि किताब पर एक लाख रुपए से अधिक का जुर्माने की बात सुनकर भले ही आपके कान खड़े हो जाए, लेकिन लेकिन यह हकीकत है। राजस्थान के बीकानेर जिले की जिला उपभोक्ता मंच ने किताब प्रकाशक को यह जुर्माना राशि चुकाने के आदेश दिए हैं। प्रकरण के अनुसार करीब एक साल पहले अधिवक्ता इन्दू सोलंकी ने वकालात की तैयारी के लिए जोधपुर की एक प्रकाशक एजेन्सी से प्रकाशित किताब सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 के संस्करण वर्ष 2018 कि खरीद की थी। अधिवक्ता ने जब किताब को देखा तो उसमें पुरानी जानकारियां थी। जबकि किताब के कवर पर नए वर्ष का कवर लगा रखा था।
किताब में नहीं मिली जानकारी
अधिवक्ता इन्दू सोलंकी ने न्यायालय में सुनवाई के दौरान बताया कि किताब में केन्द्रीय व राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2014 से वर्ष 2018 तक किए गए संशोधन का कोई जिक्र तक नहीं था। उपभोक्ता मंच के अध्यक्ष ओपी सीवर तथा सदस्य पुखराज जोशी व मधुलिका आचार्य ने प्रकाशक की सेवाओं में कमी मानते हुए एक लाख, पन्द्रह हजार रुपए जुर्माना अदा करने के आदेश प्रकाशक को दिए। कुल जुर्माना राशि में से एक लाख रुपए प्रकाशक को उपभोक्ता कल्याण कोष में जमा करवानी होगी।

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