bikaner: अवैध इमारत हुई जमीदोज, तीन की मौत, पांच घायल
गंगाशहर में हुआ हादसा, घटिया निर्माण सामग्री व ठेकेदार की अनदेखी का आरोप
जयपुर/बीकानेर.
बीकानेर के गंगाशहर में रविवार शाम करीब साढ़े पांच बजे एक निर्माणाधीन इमारत जमीदोज हो गई। इससे उसमें बैठे नौ व्यक्तियों में से तीन की मलबे में धंसने से मौके पर ही मौत हो गई, वहीं पांच जनों को अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा। हादसे की खबर सुनकर आसपास के सैंकड़ों लोगों की भीड़ मौके पर जमा हो गई, जिसे हटाने के लिए पुलिस को खासी मशक्कत करनी पड़ी। गंगाशहर थाना पुलिस के अनुसार गंगाशहर पेट्रोल पंप के पास रविवार को एक इमारत के धंसने की सूचना थाने में मिली थी। इसके बाद राहत कार्य के लिए पुलिस जाब्ता मौके पर भेजा गया, वहीं नगर निगम ने मलबा हटाने के लिए जेसीबी मशीनें लगाई। हादसा इतना खतरनाक था कि तीन लोगों की मौके पर ही दबने से मौत हो गई। जिला प्रशासन ने मृतकों को एक-एक लाख रुपए और घायलों को बीस-बीस हजार रुपए की आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाने की घोषणा की है।
इनकी हुई मौत
गंगाशहर थाना पुलिस ने बताया कि शेखरचंद पुत्र मालाराम, देवकरण पुत्र लाधूराम तथा नेमीचंद पुत्र लाधूराम की मौके पर ही मौत हो गई। पुलिस ने बताया कि निर्माणाधीन इमारत में मृतक कारीगरी, पीओपी तथा रंग-पेंट का काम कर रहे थे। पुलिस ने बताया कि घायलों को राजकीय पीबीएम अस्पताल के ट्रोमा सेंटर में भर्ती करवाया गया है। जहां घायल मोहम्मद रफीक, अर्जुन भार्गव, फिरोज अली, ईरशाद तथा चुन्नीलाल का उपचार चल रहा है। घटना की जानकारी मिलने के बाद जिला कलक्टर नमित मेहता, ऊर्जा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला तथा अतिरिक्त जिला कलक्टर बलदेवराम धोजक ने मौके पर पहुंच कर घायलों की कुशलक्षेम पूछी।
हादसे के बाद जागा प्रशासन
हैरानी की बात यह है कि गंगाशहर में पिछले कुछ दिनों से बहुमंजिला इमारत का निर्माण कार्य चल रहा था और जिला प्रशासन और नगर निगम के अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लगी। यहां तक कि नगर निगम के जिम्मेदार क्षेत्र के जमादार, हल्के के पटवारी तक ने इसकी सूचना जिला प्रशासन तक नहीं पहुंचाई। घटना के बाद ऐसी चर्चाएं चल रही है कि इमारत बिना स्वीकृति के ही खड़ी की जा रही थी। इमारत ढहने की घटना के अब सीसीटीवी फुटेज भी सामने आ चुके हैं। जिसमें कुछ ही सैकण्डों में इमारत जमीदोज हो जाती है।
खरी-खरी
साहब लीपापोती से नहीं चलेगा काम...
गंगाशहर में रविवार को बहुमंजिला इमारत के नीचे दबने से तीन युवकों की मौत और पांच के घायल होने की घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। आखिर क्यों जिला प्रशासन और नगर निगम के अधिकारी आंखें मूंद कर बैठे रहते हैं। हर बार की तरह इस बार भी हादसा होने के बाद कुछ कार्मिकों को कारण बताओ नोटिस थमाकर इतिश्री कर ली जाएगी। लेकिन उन परिवारों का क्या होगा, जिनके परिवार से एक पिता, भाई तथा पति हमेशा-हमेशा के लिए चला गया। शहर में अवैध निर्माण और ओवरलोडिंग से होने वाली दुर्घटना का यह पहला मामला नही ंहै। अभी दो दिन पहले ही ओवरलोड ट्रक ने जीप को टक्कर मारी थी, जिससे पति-पत्नी सहित चार जनों की मौत हो गई थी। हैरानी तो तब होती है जब प्रशासन के अधिकारी और स्थानीय जनप्रतिनिधि घटना के बाद अस्पताल में घायलों की कुशलक्षेम पूछने के लिए भागते फिरते दिखते हैं। क्या किसी जनप्रतिनिधि और सरकारी अधिकारी ने जनता के दर्द को वास्तव में कभी समझने की कोशिश की है, जवाब होगा नहीं। नगर निगम में भवन निर्माण से जुड़ी फाइलों पर जब तक 'वजनÓ नहीं रखा जाता तब तक वहां के अधिकारी उसे स्वीकृत नहीं करते।
इस कड़वी सच्चाई को कौन नहीं जानता कि भ्रष्टाचार राजस्थान में किस हद तक बढ़ता जा रहा है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के हाथों रिश्वत लेते पकड़े जाने के बाद भी अधिकारी और कर्मचारी कुछ महीनों बाद फिर से रिश्वत लेने का खेल शुरू कर देते हैं। बीकानेर में भाजपा और कांग्रेस के जनप्रतिनिधियों को आपसी खींचतान करते तो देखा जा सकता है, लेकिन जनता के दुख-दर्द को दूर करने के लिए वेे कभी चलाकर आगे नहीं आते। जानकारों की मानें तो नगर निगम में अवैध निर्माण से जुड़ी शिकायतों को अधिकारी गंभीरता से लेते ही नहीं। कुछ शिकायतें तो इसलिए ठण्डे बस्ते में डाल दी जाती है कि उनसे जुड़ा निर्माण किसी रसूखदार का होता है। या फिर किसी जनप्रतिनिधि की सिफारिश होती है। अब वक्त आ गया है, जनता को जागरूक होने का। नगर निगम सहित विभिन्न सरकारी विभागों में प्रत्येक कार्य करने की एक समय-सीमा होती है। यह बात अलग है कि कोई भी काम किसी भी विभाग में समय पर नहीं होता। भोले-भाले लोग 'काम नहीं हुआÓ आज साहब नहीं आए, सरीखे बहाने सुनकर वापस लौट आते हैं। लेकिन यह कब तक चलेगा, जनता को जागरूक होना होगा। अधिकारियों से जवाब-तलब करना होगा। सूचना के अधिकार और राजस्थान लोक सेवा गारंटी अधिनियम के माध्यम से अपना अधिकार लेना होगा। अब चुप बैठने से काम नहीं चलेगा।



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